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सोचती हूँ छोड़ दूँ लिखना अब मैं ….!!!

Meri udaan mera aasman
Meri udaan mera aasman
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सोचती हूँ छोड़ दूँ लिखना अब मैं ..
रखा क्या है दिल के जज्बात बयाँ करने में


हंसती है दुनिया मुझपर पढ़कर मेरी रचनाएँ
मजा अलग है तन्हा रहकर दर्द को अपने सहने में


हर रोज मेरी आँखों से चंद आंसू बह जाते हैं
रो उठता है दिल भी मेरा देख अपनी हालत अपनों में


पड जाते हैं आंसू जब कम तो शब्द कागज़ पर छपते हैं
मत लिखो तुम दर्द भरा ये आसान बड़ा है कहने में


जो अपने हैं समझेंगे वो उम्मीद यही मैं करती हूँ
न समझे तो भी क्या, मैं हूँ ही नही शायद उनके अपनों में


था जिनके लिए बदलना चाहा जब वो ही नही अपने रहे
अब फायदा भी क्या कोई है खुद को बदलने में


जो किया अभी तक मैंने हो अगर काबिल-ए-माफ़ी के
कर देना माफ़ मुझे जो आपको हर्ज नही हो माफ़ करने में


ए काश ! कि मेरी ये रचना, हो रचना मेरी आखिरी
अब दिलचस्पी नही रही मुझको एक प्रशिद्ध लेखिका बनने में

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