Menu
blogid : 14347 postid : 569488

धीरे बोलो न माँ …..

Meri udaan mera aasman
Meri udaan mera aasman
  • 40 Posts
  • 760 Comments

तन्हा- तन्हा, चुपके चुपके

आँखों से आंसू बहते है

धीरे- धीरे, चुपके से

सब आंसू दुपट्टा पी लेता है


कही कोई देख न ले ……


कितनी बाते हैं करने को

फिर भी लब सील के बैठी है

दर्द के साये में पलती धड़कन

चुपचाप सी चलती धड़कन


कहीं कोई सुन न ले ……..


मांगी जब भी सूरज से किरणे

या चाँद से जब भी मांगी चांदनी

सुबह से जब माँगा उजाला

मन को बस अँधेरा ही मिला


कही कोई जान न ले ……


हिमालय से ऊँचे सपने

आकाश से ज्यादा विस्तार

डायरी के पिछले पन्नो पर

आज भी जिन्दा है वो भुला हुआ प्यार


कही कोई पढ़ न ले …….


सखी, सहेली सब छुट गई

मन से भी बिसरा दी सभी

नए रूप में ढलकर अब

निकलती है वो बाहर


कही कोई पहचान न ले ……


ख़ामोशी से बाते करना

सीख लिया है उसने शायद

मन में जब भी जो भी चुभता

बस कोरे कागत भर देती है


कहीं कोई ऊब न जाये …….


बहुत सुनी हैं उसने बाते

कुछ गैरो की, कुछ अपनों की बाते

कुछ नीम सी बाते, कुछ शहद सी बाते

कुछ अतीत की बीती बाते


कहीं कोई फिर से जिक्र न कर दे …..



लिखना-पढना बेकार हुआ माँ

क्या पाया लिख पढ़कर तुमने

घर-गृहस्थी में उम्र गवां दी

झाड़ू-पोछा, बर्तन, कपडे


कहीं कोई अब करता है ये …………….


तुम भी तो हो उसी घर का हिस्सा

फ़र्ज था मेरा एहसान नही था

हँसते हैं तो मुझपर हंस ले लोग

मुझको कोई फ़र्क नही पड़ता


धीरे बोलो न माँ कहीं मेरे दोस्त न सुन ले ……..!!!!!!!!!


सोनम सैनी

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply