कलम बदल लेने से लिखावट नही बदलती ऐ दोस्त ….. Contest
Meri udaan mera aasman
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बिना किसी भूमिका के अगर सीधे विषय के सन्दर्भ में बात करूं तो मैं यह समझती हूँ और यह पाती भी हूँ कि अगर हिंदी ब्लोगिंग ‘हिंग्लिश’ स्वरुप को अपना रही है तो इससे वह हिंदी के वास्तविक रंग-रूप को बिगाड़ नही रही है बल्कि हिंदी को बिना उसकी गुणवत्ता में परिवर्तन किये एक सरल रूप में प्रस्तुत कर रही है !
हिंदी ब्लोगिंग का ‘हिंग्लिश’ स्वरुप को अपनाने का एक सबसे बड़ा लाभ यह है कि जिन लोगो को कंप्यूटर पर हिंदी में लिखने में परेशानी होती थी आज हिंदी के ‘हिंग्लिश’ स्वरुप के आ जाने से वो लोग आसानी से कंप्यूटर पर हिंदी में अपनी बात लिख सकते हैं वो भी हिंदी के वास्तविक रूप को बिगाड़े बिना !यहाँ अगर ब्लोगिंग को छोड़ कर अन्य पहलुओ से देखा जाये तो भी यही बात सामने आती है कि हिंदी का ‘हिंग्लिश’ स्वरुप हिंदी के प्रयोग को बहुत ही सरल और आसान बना रहा है ! जिससे कंप्यूटर पर अधिक से अधिक लोग विभिन्न कार्यो के लिए हिंदी का प्रयोग कर रहे हैं !
प्राइवेट कम्पनियों की कार्यशैली पर अधिक ध्यान न देकर अगर हम सरकारी कार्यालयों के काम को देंखे तो यही पाएंगे कि आज भी सरकारी कार्यालयों में अधिकतर कार्य हिंदी भाषा में ही किये जाते हैं और इसका एक खास कारण हिंदी का ‘हिंग्लिश’ स्वरुप को अपनाना है !
साधारणता “ज्ञतनजप क्मअ 010” सॉफ्टवेयर का प्रयोग करके कंप्यूटर पर एम. एस. वर्ड में हिंदी टाइपिंग ही जाती है ! जिसके लिए आपको कीबोर्ड पर ही हिंदी शब्दों को याद करना होता है तभी आप इस सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर सकते हैं अन्यथा आप कंप्यूटर पर हिंदी में काम नही कर सकते ! इस तरह के सॉफ्टवेयर पर काम करने में उन लोगो को परेशानी का सामना करना पड़ता है जिन्हें कीबोर्ड पर हिंदी के “छुपे” हुए शब्दों का ज्ञान नही होता ! ऐसे में हिंदी का ‘हिंग्लिश’ स्वरुप उनके लिए किसी वरदान से कम नही है !
बात अगर हिंदी ब्लोगिंग में हिंदी कीबोर्ड की जगह ‘हिंग्लिश’ तकनीक को अपनाने की है तो भी यही बात सामने आती है कि हिंदी का “हिंग्लिश” स्वरुप लेखको को कम समय में ज्यादा शब्द लिखने की सुविधा देता है ! साथ ही साथ यह बच्चो, उन बुजुर्गो व उन युवाओ को भी हिंदी साहित्य से जुड़ने की सुविधा उपलब्ध करवाता है जो हिंदी कीबोर्ड को याद नही रखने के कारण अपने विचारो को व्यक्त नही कर पाते और ब्लोगिंग की जानकारी भरी दुनिया से अनजान रहते हुए विभिन्न साहित्यिक गतिविधियों से वंचित रह जाते हैं !
अतः यह स्पष्ट तौर पर कहा जा सकता है कि हिंदी के ‘हिंग्लिश’ स्वरुप ने हिंदी लेखन को उन लोगो के लिए भी बहुत ही सरल बना दिया है जो हिंदी लिखने के लिए कीबोर्ड पर हिंदी के मुश्किल शब्दों को याद नही रख सकते हैं !इसने न सिर्फ हिंदी भाषा को पढने और लिखने वालो की संख्या में बढ़ोतरी की है बल्कि हिंदी भाषा के चाहने वालो की संख्या को भी बढाया है !
अंत में “हिंदी ब्लॉगिंग ‘हिंग्लिश’ स्वरूप को अपना रही है। क्या यह हिंदी के वास्तविक रंग-ढंग को बिगाड़ेगा या इससे हिंदी को व्यापक स्वीकार्यता मिलेगी? इस प्रश्न के जवाब में सिर्फ इतना ही कहूँगी कि:-
हिंदी तो हिंदी है, चाहे किसी भी रूप में हो कलम बदल लेने से लिखावट नही बदलती ऐ दोस्त …
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