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जीवन के दो भाग
एक वो जो बीत गया और एक वो
जो बीत रहा है ………
माँ ………
माँ पर लिखने वालो की कमी नही है
कोई माँ को जीवन कहता है अपना
किसी के लिए माँ उसकी धड़कन है
तो किसी के लिए भगवान का वरदान है
किसी ने माँ को शब्दों में उलझाकर
माँ से प्यार जताया और किसी ने
माँ को प्यार तो किया मगर कभी
शब्दों का सहारा लेकर जताया नही
नन्हे नन्हे से हाथ
मासूम सी मुस्कान
पापा की लाडली
माँ की पहचान
युवावस्था के सपने
कुछ अनजाने कुछ अपने
आसमान में उड़ने की ख्वाहिश
पलती थी उसके मन में
शादी हुई तो सारे सपने हवा हो गये
और जो हवा में थे सपनो के साथ
वो जमीं पर आ गिरे तो समझ आया
कि कैसे एक पल में अपने पराये हो जाते हैं
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एक दिन पूछा मैंने माँ से
आपके “अपने” कोई सपने नही हैं
जिन्हें पूरा करने की सोची हो कभी
और कर नही पाई हो.…….
मेरी बात सुनकर माँ बोली कुछ नही
सिर्फ मुस्कुराई ………
लेकिन इतनी नासमझ
तो मैं भी नही हूँ
कि कुछ भी न समझू
माँ की खामोश आँखों में
सब पढ़ लिया था मैंने
और समझ भी लिया था
जीवन की सच्चाई को…………
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माँ के लिए बदल चुका है
अर्थ अब सपनो का
वो सपने जो माँ की
आँखों में पलते थे
वो सपने थे
कि “मुझे कुछ बनना है ”
“मुझे कुछ करना है ”
मगर आज……
मगर आज जो सपने
देखती है माँ
वो सपने होते हैं
कि “बच्चे खुश रहे”
“बच्चे पढ़ लिख जाये”
“बच्चे कुछ बन जाये”
“मेरा परिवार खुश रहे ”
“घर का हर सदस्य सुखी रहे”
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“मुझे कुछ बनना है” के सपने
“बच्चे कुछ बन जाये” में
कब बदल गये शायद
माँ भी नही जानती
परिवार की ख़ुशी की
दुआ करते करते
माँ ने कब अपनी ख़ुशी का
त्याग करना सीख लिया शायद
माँ को भी ये याद नही होगा
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सूरज के जगने से पहले
हर सुबह जगती है माँ
घर-परिवार को सवांरने में
दिन भर व्यस्त रहती है माँ
किसी की भूख का ख्याल रहता है
तो कभी किसी की प्यास के लिए
खुद रह जाती है प्यासी माँ
दिन होता है एक छुट्टी का सब के लिए
मगर हर रोज ही काम करती है माँ
जरा से दर्द से रोने लगते हैं हम अक्सर
मगर हर दर्द ख़ामोशी से सह लेती है माँ
है फ़िक्र सबकी माँ को मगर एक खुद की नही
कष्ट किसी को न हो जाये थोडा सा भी इसलिए
बीमार होकर भी सब काम करती है माँ
इनाम मिलता है कई बार घर वालो से
जब ये कि “तुम सारा दिन करती क्या हो”
तो भी ख़ामोशी से सब काम निबटाती है माँ
अगर कोई कहे कि जरा थोडा तो
खुद का भी ख्याल रखा करो
तो इस बात पर बस हँस देती है माँ
जानती है माँ कि वो जान है उसके घर की
फिर भी अपनी जान को जोखिम में डाल देती है माँ
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माँ अपने परिवार के लिए, अपने बच्चो के लिए अपना सारा जीवन कुर्बान कर देती है, अपने सपनो को भूल जाती है, अपनी खुशियों का त्याग कर देती है तो क्या हम सिर्फ तब ” जब माँ को जरूरत होती है” तब भी माँ की सहायता नही कर सकते ! अगर हम माँ के किये हुए बलिदान का 1/4 भी माँ के लिए करें तो माँ को भी अपनी भागती दौडती जिन्दगी में दो पल सुकून के मिल जाये !
आज दुर्गा माँ के पहले नवरात्र और अपने जन्मदिन के अवसर पर दुनिया की सभी माँओ को मेरा सलाम और एक दुआ कि आप सभी हमेशा खुश रहे, स्वस्थ रहे और यूँ ही हम सभी से प्यार करती रहे !
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