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आज मैं थोडा असमंजस में हूँ ! शुरुआत कहाँ से करूं समझ नही पा रही हूँ ! कविताओ से खेलना मेरा शौंक है मगर बात जब लेख की आती है तो मैं घबरा जाती हूँ ये सोचकर कि शुरुआत कैसे करूं अपनी बात की ! असल में जिंदगी मेरे लिए इतने सवाल खड़े कर देती है कि मैं जवाब ढूंढ़ते-ढूंढ़ते पागल हो जाती हूँ ! कई बार जवाब मिलते भी हैं और कई बार खाली हाथो को रिक्त निगाहो से घूरना भी पड़ता है !
जीवन एक चक्र से होकर गुजरता है, एक प्रक्रिया से होकर ! जो लोग ईश्वर को नही मानते उनसे एक सवाल है मेरा कि “प्रकृति को देखो, पेड़-पौधो को देखो, जीव-जन्तुओ को देखो, जानवरो और इंसानो को देखो फिर कहो कि कौन है वो जो इन सभी को संचालित करता है ? इन सभी को जीवन देता है ? कौन है वो जो पेड़ो को फल, फूल, बादलो को अनेको-अनेक रंग, मौसम को सर्द गर्म एहसास प्रदान करता है ? कौन है वो जो शरीर और आत्मा के मध्य सांसो की एक डोर बांध देता है ? जब तक ये डोर बंधी होती है तब तक दोनों आपस में जुड़े रहते हैं, जिस दिन ये डोर टूटी उसी दिन दोनों का एक कहलाने वाला अस्तित्व पृथक-पृथक हो जाता है !
जब भी कोई भी जीवन इस पृथ्वी पर जन्म लेता है तो वह अपने सबसे सूक्ष्म रूप में होता है फिर चाहे वो मानव हो, जीव-जंतु, जानवर, पेड़-पौधे, फल-फूल, या कुछ और ! जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है वैसे ही उस सूक्ष्म जीवन का आकार व रंग रूप भी बदलने लगता है ! एक छोटा सा बच्चा उम्र की सीढ़ियों पर चढ़ते -चढ़ते कब बुढ़ापे की दहलीज पर पहुँच जाता है वक़्त की रफ़्तार उसे इस बात का एहसास भी नही होने देती !
यूँ तो इस पृथ्वी पर जन्म लेने वाले हर एक जीवन का रंग रूप, आकार उसके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है लेकिन शायद इंसान से कम ! एक इंसान का रंग-रूप, उसकी लम्बाई उसके लिए तो महवपूर्ण होती ही है लेकिन उससे कहीं ज्यादा इस समाज, इस दुनिया के लिए महत्वपूर्ण होती है !यदि किसी इंसान का रंग थोडा सावंला है तो घर से निकलते ही न जाने कितनी नज़रे “अरे कितना काला/काली है” कहते हुए उसे घूरती हैं ! अगर शक्ल-सूरत अच्छी नही है तो भी लोग उँगलियाँ उठाने लगते हैं ! सीधे-सीधे शब्दो में अगर कहूं तो अगर आपका रंग-रूप, शक्ल सूरत अच्छी नही है तो इस समाज का हिस्सा होते हुए भी आपको उपेक्षित समझा जाता है, ताने मारे जाते हैं ! ऐसी स्थिति में इंसान इस एक जुमले को दोहरा कर अपने मन को बहलाता है कि “ये रंग रूप तो ईश्वर की देन है, कोई भला कर भी क्या सकता है” !
वास्तव में ऐसा ही है ! किसी भी इंसान का रंग-रूप, लम्बाई ईश्वर की ही देन है ! कुछ लोग बहुत लम्बे हो जाते हैं और कुछ बहुत बौने रह जाते हैं ! लेकिन ईश्वर की कृति पर सवाल उठाना तो इंसान का प्रथम कार्य है ! किसी भी इंसान की लम्बाई को लोग उसके खाने-पीने, रहन-सहन इन सब से जोड़ देते हैं ! अगर किसी का कद छोटा है तो अक्सर लोग ताना मार देते हैं कि “खाने-पीने को ठीक से नही मिलता होगा” या फिर पोष्टिक खाना नही मिलता होगा जिसकी वजह से कद छोटा रह गया है ! कई बार जब लोग पूछते हैं कि तुम्हारी लम्बाई कितनी है तो दिल करता है कि ऐसा जवाब दूँ कि आगे से फिर कभी कुछ पूछे ही न !
अगर कद छोटा हो तो सबसे ज्यादा दिक्कत शादी- ब्याह में आती है ! बन्दे का नेचर व्यवहार आचरण अच्छा है कि नही ये सवाल बाद में पूछा जाता है, पहले ये पूछ लिया जाता है कि कद-काठी कैसी है ? लम्बाई तो सही है न ? रंग रूप कैसा है ?
इस सभ्य समाज में लोग न जाने क्यों एक इंसान को उसके गुणो से कम, उसकी कमियों से ज्यादा पहचानते हैं ! इंसान लाख अच्छा हो, उसका दिल चाहे कितना भी बड़ा हो, वो चाहे कितना भी भला हो अगर वो शारीरिक रूप से सुंदर नही है तो उसकी इन अच्छाइयों का बस अंश मात्र ही महत्त्व रह जाता है !
अभी कुछ दिन पहले टीवी पर कलर्स चैनल पर “इंडिया गोट टैलेंट” नामक रियल्टी शो का आगाज हुआ है ! जिसमे दो भाई एक 21 वर्ष और दूसरा 16 वर्ष डांस की परफॉरमेंस के लिए ऑडिशन देने आये ! यूँ तो उनकी उम्र 21 वर्ष व 16 वर्ष थी लेकिन उनकी लम्बाई लगभग 4-5 वर्ष के बच्चो जितनी थी ! उनके चेहरे पर जो चमक थी, जो आत्मविश्वाश था वो बता रहा था कि उन्हें अपने बौने होने पर दुःख नही था बल्कि अपने हुनर पर विश्वाश था कि वो सेलेक्ट हो ही जायेंगे ! दोनों भाइयो ने तीनो जज को न ही इम्प्रेस किया बल्कि उनका सिलेक्शन भी हो गया ! वो दोनों जितने समय मंच पर रहे बस मुस्कुराते ही रहे ! डर, नर्वसनेस की परछाई भी उनके चेहरे पर नज़र नही आ रही थी !
वो लोग जो अपने रंग-रूप या कद के कारण हीन भावना से ग्रस्त हो जाते है अगर वो सभी भी और बाकि सभी भी उन दोनों की ही तरह अपने हुनर को, अपनी प्रतिभा को अपना हथियार बना ले तो फिर इस दुनिया में कोई उन पर गलत शब्दो के, तानो के बाणो से हमला नही कर सकता ! अपने आप पर तब उन्हें भी गर्व होगा और वो कह सकेंगे कि ” मेरा कद बौना है मगर मैं आसमाँ हूँ …”!!!
बात विवाह की होती है जब
लोग पूछते हैं
लम्बाई कितनी है ?
रंग- रूप कैसा है ?
क्यों नही पूछता कोई ये
कि हुनर क्या हैं ?
क्यों तोली जाती है मानवता
रंग-रूप के तराजू में ?
क्यों निर्भर करती है
अच्छाई शारीरिक सुंदरता पर ?
इस क्यों का जवाब
पाना होगा …
खुद को इस लायक बनाना होगा
कि जब खुले जुबान लोगो की
मारने को ताने
और पूछने को
रंग-रूप, लम्बाई तो
बोले हुनर ….
दे हर जवाब प्रतिभा …
और कर दे चुप सभी को
कह कर ये कि….
“मेरा कद बौना है मगर मैं आसमाँ हूँ …”
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