मुझे राजनीतिज्ञ बनना है राजनीतिज्ञ ….. राजनीति का ज्ञाता राजनीति ? संधि-विच्छेद राज+ नीति राज करने की नीति ……..! राजनीतिज्ञ बनना कोई आसान काम तो नहीं है रखना पड़ता है ध्यान छोटी-छोटी बातो का अपने घर से लेकर पड़ोसियों के घर तक का अपने ही घर में रहना पड़ता है जासूसों की तरह समझना पड़ता है सदस्यों के बदलते व्यवहार को कौन क्या कह रहा है क्यों कह रहा है किस परिस्थिति में कह रहा है रखनी पड़ती है इस पर पैनी नज़र …… जमीन-जायदाद का बंटवारा औरतो का पुरुषो को भड़काना पुरुषो का फिर आपस में लड़ना ये भी तो राजनीति का ही एक हिस्सा है ……. जरूरत के हिसाब से तय होते हैं घरो में भी रिश्ते किसका कितना प्रभुत्व है किसके पास कितनी दौलत है यही तय करता है कि किसको किससे कितना बोलना है कब बोलना है ……. यहां भी तो यह तय होता है बैठको में जो कभी-कभी घर के आँगन में होती है तो कभी एक बंद कमरे की चारदीवारी में ……. क्यों देते हैं दोष लोग राजनेताओ को कि वो राजनीति का खेल खेलते हैं जबकि सच तो ये है कि राजनीति हम सब इंसानो के खून में ही है …….. हाँ ऐसा हो सकता है कि इसका जो पैमाना है वो छोटा-बड़ा हो सकता है छोटे लोग -छोटी राजनीति बड़े लोग- बड़ी राजनीति ………! राजनीति ? सन्धि-विच्छेद राज + नीति राज करने की नीति ….. खुद को बड़ा और दुसरो को छोटा साबित करने की राजनीति दो लोगो को आपस में दुश्मन बनाकर उन पर राज़ करने की नीति …… बहु की सास पर और सास की बहु पर विजय पाने की नीति यह भी होती ही है न राजनीति ?? आजकल तो एक और नयी जगह सामने आई है जहाँ होती है ऊँचे दर्जे की राजनीति प्रसिद्ध है हर कहीं आजकल फेसबुक की राजनीति …. किसको कितना कमेंट देना है कितना लाइक देना है किससे कितना हमे मिला मिल रहा है तो देंगे नही मिला तो क्यों देंगे ? मुझे राजनीतिज्ञ बनना है राजनीति का ज्ञाता क्योंकि मैंने देखी है सीखी है, समझी है राजनीति की बारीकियां अपने घर में अपनों से, पड़ोसियों से रिश्तेदारो से, दोस्तों से राजनेताओ ने भी तो ऐसे ही सीखी होगी न राजनीति ? आखिर वो भी तो इसी समाज का एक हिस्सा हैं हैं न ?????????
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