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नाउम्मीदी के बादल ……

Meri udaan mera aasman
Meri udaan mera aasman
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आजकल कुछ ठीक नही लग रहा है, हर तरफ अँधेरा ही अँधेरा नज़र आ रहा है, बैठे-बैठे आँखे भर आती हैं, कुछ भी अच्छा नही लगता, भूख लगती है तो खाना खा लिया जाता है, ज़िंदगी में कई बार मैं ऐसे ही बिखर जाती हूँ, टुकड़े-टुकड़े हो कर ! न हँसने का मन करता है न किसी से बात करने का, बस चुपचाप बैठे रहने का मन होता है !

ज़िंदगी को समझना नही चाहिए सिर्फ जीना चाहिए, ऐसा सुना है मैंने लेकिन ऐसा किया नही जाता, जिंदगी को जीने से पहले मैं समझने की कोशिश करने लगती हूँ, और मेरी हर कोशिश को तो नाकामयाब ही होना होता है !


सब कुछ बिगड़ता जा रहा है, न कुछ अच्छा हो रहा है न अच्छे विचार मन में आ रहे हैं, जब भी माँ बीमार होती हैं मेरी हिम्मत टूटने लगती है, पता नही वो क्यों बीमार पड़ती है, मन होता है कि उनकी जगह मैं ही बीमार पड़ जाऊं बस वो ठीक रहे हमेशा, वो बीमार होती हैं तो सब बिखरता सा नजर आने लगता है !


कुछ और लिखना अब बस में नही है, बस मन बहुत भारी हो रहा है, अंदर ही अंदर कुछ टूट रहा हो जैसे, क्या चुभ रहा है इतना कुछ समझ नही आ रहा, भावनाओ का ऐसा सैलाब मन में उमड़ रहा है कि न रोते बन रहा है न हँसते ….


दर्द दूर हो जाता है
मगर खत्म नही होता
कुछ तो है अंदर
जो रह-रह कर
चुभता रहता है   ……
आंसुओ की कुछ बूंदे
छलक पड़ती है आँखों से
वो कौन है जो
मेरे अंदर बैठकर रोता रहता है  ……
सिसकियाँ सुनती हूँ अक्सर
बंद तनहा कमरे में
है कोई तो जो मुझको
मुझसे ही जुदा रखता है  ……
छोड़ कर साथ मेरा सब दोस्त
मुझको तनहा कर गए
हम अकेले थे कल भी और
आज भी अकेले ही रह गए  ……
सोचती हूँ रिश्तो की
क्या बस यही सच्चाई है
दिल किया तो संग हो लिए
दिल किया तो छोड़ दिया  ……
अब न भरोशा खुद पर रहा
और न इन रिश्तो पर  ……
जितनी बची है ज़िंदगी
बस अकेले ही जीना है
किसी के साथ की अब उम्मीद नही
जानती हूँ कि
उम्मीदें अक्सर टूट जाया करती हैं  ….!!!
उम्मीदें अक्सर टूट जाया करती हैं  ….!!!


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