वर्ष 2012 में जब मैंने जागरण जंक्शन पर अपना अकाउंट बनाया था तब मैं शौकिया तौर पर लिखती थी, यहां आने के बाद मुझे पता चला कि और भी बहुत लोग है जो लिखते हैं, कुछ बहुत अच्छा लिखते हैं, कुछ अच्छा लिखते हैं और कुछ मेरे जैसा लिखते हैं, जब मैंने जागरण जंक्शन पर ब्लॉगिंग शुरू की थी तब मुझे ठीक से पता भी नही था कि यहां लिखा कैसे जाता है, हिंदी में कैसे लिखते हैं, दुसरो की पोस्ट पर प्रतिक्रिया कैसे दी जाती है !
धीरे-धीरे मैंने हिंदी में पोस्ट लिखना सीखा, फिर अपनी पोस्ट पर आये हुए कमेंट व दुसरो की पोस्ट पर कैसे कमेंट किये जाते हैं यह सीखा और फिर शुरू हुआ बाकि ब्लोगेर्स को जानने का सिलसिला !
अगर मैं ये कहूँ कि इस मंच ने ही मेरे शब्दों को परिपक्वता दी है तो ये अतिशयोक्ति नही होगी, मैंने बहुत कुछ सीखा है यहाँ से, मुझे पहले लेख लिखना नही आता था यहाँ आकर, बाकि ब्लोग्गेर्स के लेख पढ़ पढ़ कर मैंने लेख लिखना सीखा है, जागरण जंक्शन ने मुझे बहुत कुछ दिया है जो मेरे लिए अनमोल है, जिसके लिए मैं जे जे की बहुत आभारी हूँ और जे जे को दिल से धन्यवाद करती हूँ !
आज जब मेरी पहली किताब देवनिता प्रकाशित होकर आ गयी है तब मैं उन सभी लोगो को दिल से धन्यवाद कहना चाहती हूँ जिनके मार्गदर्शन से, जिनके ब्लोग्स पढ़कर, जिनके आशीर्वाद से मैं यहाँ तक पहुँच पायी हूँ, श्रीमती सरिता सिन्हा मैम, प्रवीण मैम, श्री जवाहरलाल सिंह सर, आदरणीय प्रदीप कुशवाहा सर जी, सद्गुरु जी, रंजना मैम, यमुना मैम, योगेन्द्र सरस्वत सर, निर्मला सिंह गौर मैम, सुमित नैथानी, आशीष दुबे, टिम्सी मेहता, सुधा जायसवाल मैम, वो सब भी जिनके नाम मैं यहाँ लिख नही पाई हूँ, आप सभी के लेख/कवितायेँ मुझे बहुत पसंद हैं, मेरे साधारण से नाम को लेखन की दुनिया में एक पहचान देने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद ….. और मिसेज सिन्हा मुझे नकारात्मक जीवन से निकाल कर सकारात्मक जीवन में लाने के लिए आपका अनेकोअनेक बार धन्यवाद, मैं बहुत आभारी हूँ आपकी …….,
देवनिता मेरी पहली किताब, मेरा बहुत बड़ा सपना अब हकीकत बन चुका है, जिसने मुझे ब्लॉगर से ऑथर बनाया है, मुझे एक नयी पहचान दी है ….
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